delay in decision - ram mandir (supreme court)
नई दिल्ली. अयोध्या में विवादित स्थल के मालिकाना हक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला टालने का अनुरोध करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता में जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस केएस राधाकृष्णन की बेंच ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने दो घंटे से भी ज्यादा समय तक सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनीं। दोपहर 2 बजे पीठ ने याचिका खारिज करने का निर्णय सुनाया।
अब इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच अपना फैसला सुनाएगी। बेंच बीते शुक्रवार को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन रमेश चंद्र त्रिपाठी की विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे टाल दिया था। कोर्ट ने सभी संबद्घ पक्षों को नोटिस जारी किए थे। त्रिपाठी की दलील है कि विवाद को बातचीत से हल करने की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। विवाद के दो अहम पक्षों- - सुन्नी वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा - ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में हलफनामे दायर किए थे। दोनों फैसला टाले जाने के खिलाफ हैं। याचिकाकर्ता रमेश चंद्र त्रिपाठी ने आज अदालत को बताया कि फैसला टाले जाने को लेकर लगभग सभी पक्षों का समर्थन उन्हें प्राप्त है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड और अखिल भारत हिंदू महासभा का साफ कहना है कि इस मामले में आपसी सुलह की कोई संभावना नहीं है। दोनों का कहना है कि अयोध्या पर फैसला टलना नहीं चाहिए। इसके विपरीत निर्मोही अखाड़ा फैसला तीन माह टलवाने के पक्ष में था, ताकि बातचीत से विवाद का हल निकल सके।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि फैसला जो भी हो, देरी नहीं होनी चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम नहीं चाहते कि इस मामले में और देरी हो और कोई अनिश्चितता कायम रहे। वैसे ही यह मामला दशकों से अदालत में लटका हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से त्रिपाठी की याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद अब शुक्रवार तक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच फैसला सुना सकती है। शुक्रवार (1 अक्टूबर) को इस पीठ के तीन जजों में से एक रिटायर हो रहे हैं। फैसला उनके रिटायरमेंट से पहले आ जाना चाहिए।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी कहा- कि यह मामला बातचीत से नहीं सुलझ सकता। हम चाहते हैं कि हाईकोर्ट का फैसला एक अक्टूबर से पहले आ जाए।
मामला हल करो या फैसला मानो : प्रणब
सागर डिग्घी : केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दो-टूक कहा कि अयोध्या विवाद के पक्ष या तो बातचीत से मसले का हल खोजें या कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें। मुखर्जी ने यह टिप्पणी पत्रकारों से बातचीत के दौरान की। उनसे इस मसले पर केंद्र के रुख के बारे में पूछा गया था।
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